राजनीतिक स्टंट है आरक्षण

एफडीआई के खिलाफ वोटिंग करने के अलावा लॉबिंग का मुद्दा उठाकर भाजपा ने संसद में मजबूत विपक्ष होने का परिचय दिया है। लेकिन नितिन गडकरी से जुड़े विवाद और येदियुरप्पा के बाहर होने जैसे कई मुद्दों ने उसकी छवि पर असर भी डाला है। इन तमाम मसलों पर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह से की गई बातचीत (वीरेन्द्र खागटा) इंडियन बुलेटिन ….”.सवाल से जबाब तक ”

सवाल – इसी महीने भाजपा का नया अध्यक्ष चुना जाना है। नितिन गडकरी पर आरोप लग जाने के बाद उनकी दोबारा ताजपोशी पर आशंका जताई जा रही है। ऐसे में नए अध्यक्ष के तौर पर आपका नाम भी सामने आ रहा है क्या यह सच्च है ?
जबाब -गडकरी जी को लेकर कोई दुविधा नहीं है। भला उन्हें दोबारा कार्यकाल क्यों नहीं मिलेगा। जहां तक अध्यक्ष पद के लिए मेरा नाम उछलने का सवाल है, यह सच नहीं है।

सवाल – राज्यसभा में आरक्षण विधेयक का भाजपा ने समर्थन किया है, जबकि सपा विरोध कर रही है। उत्तर प्रदेश में कर्मचारी हड़ताल पर हैं। क्या आपको नहीं लगता कि इससे भाजपा का सवर्ण वोट सपा के पाले में चला जाएगा?
जबाब -केंद्र सरकार को समझना चाहिए था कि यह बसपा का राजनीतिक स्टंट है। बसपा कभी भी ईमानदारी से दलित और आदिवासी समुदायों के हितों की बात नहीं सोचती। वह वोट बैंक के हिसाब से काम करती रही है। कांग्रेस ने भी इस मामले में राजनीति की है। इस विधेयक को लाने से पहले सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए था। मुझे नहीं लगता कि भाजपा के समर्थक दूर जाएंगे।

सवाल – मौजूदा सत्र में यूपीए ने सपा और बसपा को साधकर संसद में अपना संख्याबल दिखा दिया, जबकि भाजपा सरकार पर दबाव बनाने में ज्यादा कामयाब नहीं दिख रही।
जबाब -ऐसा नहीं है। अभी संसद का सत्र चल रहा है और भाजपा लगातार मुद्दे उठाकर सरकार पर दबाव बनाती रही है। रिटेल में एफडीआई के फैसले पर भाजपा ने विपक्ष के साथ मिलकर सरकार पर संसद में मतदान कराने के नियमों के तहत चर्चा कराने के लिए दबाव बनाया और उसमें सफलता भी मिली। रिटेल एफडीआई में लॉबिंग मामले की भी भाजपा ने ही न्यायिक जांच कराने की मांग की थी, जिसे सरकार को मानना पड़ा।

सवाल – भाजपा इस बार भ्रष्टाचार के मामले उठाती नहीं दिख रही।
जबाब -भाजपा का नजरिया साफ है कि वह कभी भ्रष्टाचार पर समझौता नहीं करेगी। एफडीआई मामले पर हमारा स्टैंड साफ दिखा है। सत्र अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए ये मामले आगे भी उठेंगे। भाजपा पहले जैसी ही है। संसदीय लोकतंत्र में ऐसे ही मुद्दे उठाए जाते हैं। अब हम लाठी लेकर तो मैदान में उतर नहीं सकते।

सवाल – कर्नाटक में येदियुरप्पा को बाहर जाना पड़ा है। जनाधार वाले नेता भाजपा से आखिर कब तक बाहर जाते रहेंगे?
जबाब- जनाधार कभी स्थायी नहीं रहता। यह बनता-बिगड़ता रहता है। भाजपा अपने संगठन और कार्यकताओं के कारण पहले की तरह मजबूत है।

सवाल – येदियुरप्पा के अलग होने से कर्नाटक सरकार संकट में है और कहा जा रहा है कि संगठन की स्थिति भी ठीक नहीं।
जबाब-कर्नाटक में भाजपा कमजोर नहीं हुई है। पार्टी संगठन भी पहले की तरह मजबूत है। इस प्रकरण से पार्टी को जो भी नुकसान हुआ होगा, वह जल्दी ही भरपाई कर लेगी।

सवाल – भाजपा ने कहा था कि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। इसलिए लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए क्या किया जा रहा है?
जबाब-हमारी प्रदेश इकाई संगठन को मजबूत बनाने में लगी है। संगठन के चुनाव भी हो चुके हैं। लोगों का सपा और बसपा से मोहभंग हो चुका है। वैसे भी ये दोनों कांग्रेस के सहयोगी हैं। इन दलों से जनता आजिज आ चुकी है। इसलिए उत्तर प्रदेश के लोगों को विकल्प के तौर पर सिर्फ भाजपा ही दिख रही है।

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